एमएचवी पुलिस स्टेशन क्षेत्र में खुला जुगार क्लब ..
दहिसर। ऐसा लगता है कि अपने देश में बेईमानी और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ना टेढ़ी खीर साबित हो रही है। सरकारी तंत्र भ्रष्टाचार की चाशनी में ऐसा नहाया हुआ है कि उसे हमाम के साबुन से कितना भी नहलाओ लेकिन वो निकलने वाला नहीं है। अब तो पुलिस प्रशासन भी भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबा हुआ है। स्पा की आड़ में जिस्मफरोशी और मनोरंजन की आड़ में जुगार क्लब के धंधे में पुलिस प्रशासन की हिस्सेदारी ये दर्शाता है कि कानून व्यवस्था का कितना मजाक उड़ाया जा रहा है। यही कारण है कि जुगार क्लब जैसे अवैध धंधा करने वालों पर कोई भी कार्रवाई नहीं हो रही है। इस जुगार क्लब के कारण कितने परिवार बर्बाद हो रहे हैं परंतु न ही सरकार को इसकी चिंता है और न ही पुलिस प्रशासन को.? सामाजिक संगठनों द्वारा की गई शिकायत और द रेड स्टार न्यूज़ अखबार में न्यूज देने के बावजूद पुलिस के आला अधिकारी और सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है।
गौरतलब हो कि केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा जुगार पर प्रतिबन्ध होने के बावजूद मुंबई पुलिस परिमंडल 11 क्षेत्र में मनोरंजन की आड़ जुगार क्लब बड़े पैमाने पर दिन-रात चलाया जा रहा है। स्थानीय व्यापारी संगठन, पत्रकार एवं जागरूक प्रतिनिधियों द्वारा द रेड स्टार न्यूज़ कार्यालय में मिल रही शिकायत के अनुशार एमएचबी पुलिस स्टेशन परिक्षेत्र बोरीवली आई. सी. कालोनी के सामने लिंक रोड पर टमाटर मार्किट के अंदर पीछे साइड बने अवैध शेड में हिस्ट्रीशीटर अनिल, सुनील व सचिन द्वारा स्थानीय गुंडों को लेकर 10 से 12 टेबल लगाकर बड़े पैमाने पर प्लास्टिक क्वाइन के माध्यम से जुगार का व्यवसाय स्थानीय गुंडों को लेकर पुलिस अधिकारियों की जानकारी में महाराष्ट्र मनोरंजन एक्ट शासनादेश का उलंघन करते हुए शासन प्रशासन को चुनौती देते हुए दिन-रात जुगार चलाया जा रहा है,
स्थानीय एमएचवी पुलिस स्टेशन की भूमिका संदिग्ध होने के कारण कोई भी व्यापारी इन जुगार मफ़ियाओं से पंगा नहीं लेना चाहता। स्थानीय रहिवासियों एवं व्यापारियों ने न्यूज़ कार्यालय पर दूरसंचार के माध्यम से शिकायत करके कथित जुगार माफियाओं पर सख्त कार्यवाई के साथ साथ तड़ीपार करने की अपील की है। इस शिकायत पर न्यूज़ कार्यालय द्वारा लिखित रूप से स्थानीय एमएचवी पुलिस स्टेशन, पुलिस उपायुक्त परिमंडल 11, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त पश्चिम प्रादेशिक विभाग एवं मुंबई पुलिस आयुक्त कार्यालय में की गयी है। अब देखना है कि पुलिस जुगार के धंधे पर कब कार्यवाई करती है या मनोरंजन की आड़ में जुगार के माध्यम से लूटने वाले जुगार माफियाओं को संरक्षण प्रदान करती है.?