लखनऊ, हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजों को सुविधाएं देने के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के विरुद्ध राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल करने की तैयारी है। गौरतलब है कि इस मामले में कड़ा रख अपनाते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बुधवार को सचिव वित्त एसएमए रिजवी व विशेष सचिव वित्त सरयू प्रसाद मिश्र को न्यायिक अभिरक्षा में लेने का आदेश दिया है। कोर्ट ने हाई कोर्ट के रिटायर्ड मुख्य न्यायाधीश और जजों को घरेलू नौकर समेत अन्य सुविधाएं मुहैया कराने के बारे में हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा अनुमोदित नियमावली को अधिसूचित करने का आदेश बीती चार अप्रैल को राज्य सरकार को दिया था। राज्य सरकार ने इस नियमावली को अधिसूचित नहीं किया है। वित्त विभाग इस नियमावली को अधिसूचित करने के पक्ष में नहीं है। विभागीय जानकारों का कहना है कि हाई कोर्ट की ओर से भेजी गई यह नियमावली मुख्य न्यायाधीश के अधिकार क्षेत्र से बाहर है क्योंकि उसकी विषयवस्तु सेवानिवृत्त जजों से संबंधित है। साथ ही, यह मामला संविधान के अनुच्छेद-229 के दायरे में नहीं आता है।
उच्च न्यायालय की ओर से चार अप्रैल को पारित आदेश को लेकर शासन ने कोर्ट के समक्ष रीकाल एप्लीकेशन दी थी जिसमें उक्त आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया था। कोर्ट ने इसे अपने आदेश की अवहेलना मानते हुए दोनों अधिकारियों को न्यायिक अभिरक्षा में लेने का आदेश दे दिया। सूत्रों के अनुसार इस मामले में शासन ने विधिक राय ली है। जिसमें उसे इस मामले से भारत के मुख्य न्यायाधीश को अवगत कराने की सलाह दी गई है।