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Thursday, November 21, 2024

गोरेगाव संतोष नगर में धड़ल्ले से चल रहा है गुटका का अवैध कारोबार …

FDA के भ्रष्ट अधिकारियों के संरक्षण में कराई जाती है गुटका की सप्लाई। 
    गोरेगांव पूर्व। अपने देश में ऐसे करोड़ों लोग हैं जो मर मर के जीते हैं। प्रतिदिन एक नहीं हजार मौत मरते हैं। यह गरीबी जालिम, इसकी मार, इसके जुल्म दिखाई नहीं देते, मगर पेट तक महसूस होते हैं कलेजे के फटने से बहता खून दिखाई नहीं देता। यह तो वही जानता है जो गरीब है। आज भी एक गरीब की पूरी उम्र कट जाती है एक घर बनाने में, लोग टूट जाते हैं, यह आज भी सच्चाई है। परंतु अपने देश के भ्रष्ट नौकरशाहों व नेताओं की इसकी कोई चिंता नहीं है। इन भ्रष्टाचारियों को तो बस किसी तरह गरीबों का खून चूसकर अपना घर भरना है बस। हम भारतीय एशिया के सबसे बड़े रिश्वतखोर।  हमने पूरे महाद्वीप को रिश्वतखोरी व भ्रष्टाचार में पीछे छोड़ दिया है। महाराष्ट्र राज्य में तो भ्रष्टाचार चरम पर है। यहां का पुलिस प्रशासन इतना करप्ट है कि मौत के सौदागरों से भी हप्ता लेकर आम जनता के जीवन से खिलवाड़ करती है।  महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में गुटका और उसके उत्पादन तथा बिक्री पर रोक लगा रखी है परंतु FDA प्रशासन के आंख के नीचे गुटका माफिया सक्रिय हैं। और ये गुटका माफिया मुंबई उपनगर के शहरों में गुटका का वितरण कर लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ कर रहे हैं। आश्चर्य इस बात का है कि प्रशासन की नजर में गुटका का उत्पादन व वितरण बंद है परंतु ऐसा नहीं है, बल्कि शहरों व उपनगरों में गुटका का व्यवसाय धड़ल्ले से जारी है। वर्तमान समय में गुजरात व महाराष्ट्र में गुटका फैक्ट्रियों में आज भी गुटका का उत्पादन व वितरण किया जा रहा है। गुटका माफिया इसके वितरण व बिक्री के लिए नये नये तरीके इजाद किए हुए हैं।
      इसी तरह गोरेगांव पूर्व दिडोंशी पुलिस स्टेशन परिक्षेत्र के संतोष नगर स्थित भीम नगर के पास दया भानुशाली का किराना स्टोर्स है, जो भानुशाली की पत्नी एवं बहु सम्हालती है और उसका लड़का इस्टेट एजेंट का काम कम पिता दया भानुशाली के साथ टैबेको एवं सुपारी सप्लाई की आड़ में गुटका की सप्लाई व बिक्री कर लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ करता है। बल्कि इतना ही नहीं भानुशाली की किराना स्टोर्स की आड़ में गुटका की सप्लाई पवई, फिल्मसिटी, जोगेश्‍वरी, आरे कालोनी, दिंडोशी, गोरेगांव, मालाड व कांदिवली जैसे उपनगरों के पान की दुकानों पर सप्लाई कराता है। अब सवाल यह है कि गुटका पर प्रतिबंध के बावजूद इस तरह से शहरों व उपनगरों में धड़ल्ले से गुटका का वितरण पान की दुकानों पर किया जा रहा है तो क्या पुलिस प्रशासन व एफडीआई को इसकी जानकारी नहीं है.? है परंतु पुलिस प्रशासन व एफडीए इस मामले में पड़ना नहीं चाहती, क्योंकि पैसा बोलता है। आरे कालोनी में पूरे दिन घूमने वाला भानुशाली सुपारी की आड़ में गुटका नामक जहर की सप्लाई कर लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ कर रहा है। इतना ही नहीं बल्कि लड़को के माध्यम से गुटका की सप्लाई करवाता है जो एक अपराध की श्रेणी में आता है। एक प्रकार से देखा जाए तो इस पूरे अवैध धंधों में पुलिस प्रशासन व एफडीए की बराबर की हिस्सेदारी है, तभी तो बार बार खबरें प्रकाशित होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। क्योंकि हम भी सुधरे नहीं हैं।
     आखिर यह लालच का बाजार इतना पसरा हुआ क्यों है ? क्यों लोग रिश्वत लेते हैं, भ्रष्टाचार क्यों करते हैं ? क्यों हर काम के लिए रिश्वत देनी पड़ती है ? ईमानदारी क्यों हार गई है भारत में ? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिन्होंने ब्लैकमनी, भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी आदि से निपटने के सब्जबाग दिखाए, क्या वे बताएंगे कि अब भी भ्रष्टाचार ही शिष्टाचार क्यों बना हुआ है।
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